उपेक्षा के शिकार बाबा परशुराम

उपेक्षा के शिकार बाबा परशुराम
उपेक्षा के शिकार बाबा परशुराम
मोकामा। त्रेतायुग में
धरती को क्षत्रियविहीन करने वाले रौद्र
रूपधारी
ब्राह्मण देवता बाबा परशुराम
का मोकामा स्थित भव्य मंदिर श्रद्धालुओं के
आस्था
का प्रमुख केंद्र है। परशुराम स्थान में
बाबा परशुराम का दर्शन करने के लिए
लोग दूर दूर से आते हैं। इस पवित्र स्थान के बारे
में लोगों को मानना है कि
सच्ची आस्था के साथ मांगी गई हर
मनोकामना पूरी होती है। प्रचलित मान्यताओं
पर
यदि भरोसा किया जाए तो त्रेतायुग में धनुष
भंजन के बाद बाबा परशुराम जब आस्त
हो गए थे कि धरती पर विष्णु का अवतार
हो चुका है तो वह पाप का नाश करने चले।
धनुष भंजन के बाद तपस्या के लिए जाते वक्त
मोकामा में भी उनका ठहराव हुआ था।
यात्रा के दौरान मोकामा में ठहराव
होना तथा वर्तमान परशुराम स्थान के पास
आवासन करने के कारण इलाके के
लोगों की बाबा परशुराम में गहरी आस्था है।
परशुराम स्थान के पुजारी शिवनंदन पांडेय कहते
हैं कि बाबा परशुराम की महिमा
अपार है। वह हर भक्त की मनोकामना पूरी करते
हैं। एक अन्य किंवदंति पर भरोसा
करें तो जनकपुर में विवाह के बाद
अयोध्या लौटते वक्त मर्यादा पुरुषोत्तम
भगवान
श्रीराम मोकामा में ठहरे थे। चंद्रदेव पांडेय
वर्षो से परशुराम स्थान में पूजा
कराते आ रहे हैं। चंद्रदेव पांडेय और मनोज पांडेय
कहते हैं कि परशुराम स्थान
में सैकड़ों वर्ष पहले एक भक्त रहा करते थे।
आसपास के इलाके में कसाई मिट्ठू
खां पैठान का जबर्दस्त आतंक था। हिदू
देवी देवताओं का अपमान करना उसका शगल था।
एक दिन वह परशुराम बाबा का उपहास उड़ाने
लगा और कहा कि यदि उनमें इतनी शक्ति
है तो अभी एक मृत गाय को जीवित कर दें।
इतना कह कर उसने पास में बंधी गाय को
ओढ़ा दिया और बाबा परशुराम
की अराधना करने लगा। आश्चर्यजनक तौर पर
गाय जीवित
होकर रंभाने लगी। इसके बाद मिट्ठू खां पैठान
भी बाबा परशुराम की प्रतिमा के
आगे नतमस्तक हो गया और क्षमायाचना करने
लगा। बाबा परशुराम की महिमा जितनी अपार
है उतना ही परशुराम स्थान का दृश्य
भी मनोरमा है। पूरे परिसर में बजरंगबली,
दुर्गा मां, शिव पार्वती, राधा कृष्ण के
भी मंदिर हैं। मोकामावासी बाबा
परशुराम की पूजा नगर देवता के तौर पर करते
हैं। हर शुभ कार्य में लोग यहां शीश
नवाते हैं। दु:ख के समय यहां पूजा करने
वाला व्यक्ति यदि बाबा परशुराम को याद
भी कर ले तो उसके संताप दूर हो जाते हैं।
लोगों की मानें तो बाबा परशुराम की
महिमा अपार होने के बावजूद सरकारी स्तर पर
परशुराम स्थान के विकास का खाका
नहीं खींचा गया जबकि राजनीतिक संघर्ष के
दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई
बार बाबा परशुराम से आशीर्वाद लिया था।
फरसाधारी बाबा परशुराम का बिहार में
एकमात्र मंदिर मोकामा में ही है। वरिष्ठ
सामाजिक कार्यकर्ता वेंकटेश नारायण
सिंह कहते हैं कि वर्ष 1968 में बिहार प्रवास
के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी जब
मोकामा आए थे तो राजनीतिक कार्यक्रम से
पहले वे परशुराम स्थान गए थे। वेंकटेश
नारायण कहते हैं कि वाजपेयी जी को मालूम
था कि मोकामा में बाबा परशुराम का
मंदिर है। अफसोस इस बात का है कि स्थानीय
जनप्रतिनिधियों ने कभी इस पौराणिक
दर्शणीय स्थल के विकास में रुचि नहीं ली।
बाबा परशुराम के तेजस्वी स्वरूप का
असर स्थानीय वाशिंदों पर भी नजर आता है
जो हर शुभ कार्य में बाबा परशुराम की
जयकारा लगाते हैं। प्रस्तुति : कुमार कृष्ण करते
हैं हर मनोकामना पूर्ण, दूर
दूर से आते हैं लोग मन्नत मांगने आस्था :
मोकामा में आस्था का केंद्र बना
परशुराम मंदिर।(Source Shara)

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